Abu Dhabi - UAE

About Me

न रास्ते हैं सरल न सुगम , न ही सीमांकन किया मंजिलों का,

सिर्फ कलम दवात से लगा रहा लगाव, जो मिला है विरासत में भी…

सिर्फ शब्दों से खिलवाड़ ही नहीं, माला में पिरोना भी है फितरत, 

कभी भी न थमने वाला लेखन सिलसिला यूं ही जारी रहेगा हमेशा…

हर बार, कुछ नया, कुछ हट कर, चुनौती ले चले है इस सफर में। 

                                                 गीतांजलि सक्सेना          

गीतांजलि सक्सेना

सफ़रनामा

पत्रकारिता का सफर राजधानी दिल्ली के ‘नवभारत टाइम्स में सक्रिय रिपोर्टर की हैसियत से हुआ। उस दौरान इस क्षेत्र में कई विषयों पर दखल देकर लिखने का अवसर मिला। यही नहीं, कुछ समय कार्यरत रहने के तत्पश्चात स्वतंत्र रूप से कार्य भी किया। “उत्तर बिहार” दैनिक समाचार पत्र में संवाददाता का कार्यभार संभाला। कई वर्षों तक इस समाचार पत्र से जुड़े हुए ‘पीआईबी‘ से मान्यता प्राप्त अधिकृत संवाददाता भी रहीं।

गत कई दशकों से विदेश में प्रवास होने के बावजूद भी अपने लेखन कार्य के प्रति रुचि और इस क्षेत्र में हमेशा कुछ नया करने की लालसा बनी रही। लेखन को कभी मंजिल की सीमाओं में न समेटते हुए, परदेश में भी पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े रहते हुए कार्य करने के अवसर प्राप्त होते रहे। अपने सफर को जारी रखते हुए यहां से प्रकाशित महिला मैगजीन “ज्योति” के संपादक की भूमिका निभाना अपने आप में एक अनूठा अनुभव रहा। जिसका प्रकाशन भारतीय दूतावास से मान्यता प्राप्त आबूधाबी स्थित “इंडियन लेडीज़ एसोसिएशन” द्वारा किया जाता है। ‘ज्योति’ को प्रज्वलित करने का सम्पूर्ण कार्यभार महिला सदस्यों के सहयोग व उनके समर्पण, योगदान से किया जाता आ रहा है। इसके प्रकाशन के कार्य दौरान सम्पादकीय विभाग से जुड़ी हर महिला सदस्य बड़ी शिद्दत से समर्पित रहती है। यही कारण है कि प्रकाशन के दौरान आने वाली अनेकों चुनौतियों का सामना बड़ी सहजता और सरलता से सम्पन्न कर ‘आई-एल-ऐ ’ का परचम लहराने में सफलता हासिल करती आ रही है। सच ही है, कि दृढ़ संकल्प के साथ हौसले अगर बुलंद हो, तो मंज़िल उन्हीं को मिलती है।

मेरा यह सौभाग्य रहा कि “ज्योति” मैगजीन में “हिंदी विभाग” को प्रारंभ करने का अवसर मिला। विदेश में जहां मातृ भाषा के प्रयोग की सीमित सुविधाएं उपलब्ध हो वहाँ वास्तव में यह कार्य कठिन हो जाता है। किन्तु इस जटिल कार्य को उस दौरान ‘ज्योति अंग्रेज़ी मैंगज़ीन’ में हिन्दी को भी विशेष दर्जा हासिल कराने के पश्चात, कुछ पन्नों को ‘ज्योति’ में शामिल कर पाना ही एक बड़ी उपलब्धि साबित हुई। इसके प्रकाशन से जुड़ा हर एक  कार्य एक सीख के साथ नए रास्ते पर चलने को प्रेरित करता रहा।  निःसंदेह इसे प्रकाशित करने का अनुभव न केवल संतोषप्रद बल्कि उल्लेखनीय भी रहा है। इस योगदान के लिएThe Lady of the year & Hard worker of the yearपुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। सोहनलाल द्विवेदी की कुछ पंक्तियां याद आ रही है :‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, कुछ किए बिना जय जयकार नहीं होती।’

लेखन का सफर रोमांचक और खुशनुमा तब ही हो सकता है, जब कलम को पूर्ण स्वतंत्रता मिली हो। इसका अहसास उत्तर प्रदेश के ‘दैनिक भास्कर’ के साथ जुड़े रहते हुए हुआ। फिर एक नए लक्ष्य को दिशा देते, अपना दायित्व निभाते हुए महिलाओं से जुड़े हर विषयों को समझते हुए, पन्नों पर उतारने का अवसर मिला। उन से सम्बन्धित सभी चुनौतीपूर्ण सवालों के जवाबों को जानने का प्रयास जारी है...