गीतांजलि सक्सेना
न जाने क्यों? शब्दों के विशाल सागर में,
बस डूब जाने को ही, यह दिल है चाहता,
छोटी-बड़ी सी जल भंवर धाराएँ ही तो है,
जो है सिखाती हमें, हिम्मत से बस डटे रहना,
इसी में तो हैं छिपे, जीने के हर नये अंदाज,
भंवरों के डर से नौका कभी पार नहीं होती।

नववर्ष भरा रहे अच्छे स्वास्थ्य से,
सुख-समृद्धि दे दस्तक जीवन में,
आज मौका भी है उसका दस्तूर भी
शब्द पिरोकर कुछ कहने- सुनने का,
जीवन ही तो है उत्सव, है अनमोल,
कामनाएँ होती पूरी तो कामयाबी भी,
वक्त चाहे न दिखे बहुत सीख दे जाए
छोड़ गिलें शिकवे शुक्रिया अदा कीजिए
आज का आनंद ही, यही जीवन सार,
जन्म से मृत्यु तक अक्षरों से है बंधा,
जादुई ढाई अक्षर स्नेह तो भाग्य भी,
यही तो है जो दिल को दिल से जोड़े
आशिक़ और आशिकी परिभाषित करें
रिश्तों अहमियत बस शब्द ही जाने,
शब्द भाषाओं में भावनाओं के सार में।
अनकहे शब्द भी, बहुत कुछ कह जाए,
शब्दों की ताकत समझे न ले हलके में
इनमें युद्ध ललकार तो फटकार भी है
कभी मरहम बनकर घाव यह सहलाए।
सुर शब्दों में डालें तो मधुर गीत बने,
घुंघरू की झंकारे घोले मिश्री कानों में,
नवरस भाव बिन अक्षर रहे सब फीके,
इसकी ताकत को जाने न ले हलके से
शब्दों में ही छुपा है ईश्वर का स्वरूप
रचाए गीता रामायण, कुरान, बाइबिल
करें प्रार्थना, नमस्कार आशीर्वाद भी दे,
जीवन आधार यही, है सृष्टि का मूल।
न ले हलके से, अमृत का भंडार यही,
उतार-चढ़ाव दिखाए, तो सोच दिशा भी,
संकल्पों में ऊर्जा रंग भी शब्द ही भरें,
फूलों की नहीं रोज शब्दों की वर्षा करें,
ऐसी है इसकी दुनिया निराली अद्भुत।
शब्दों का मोल जीवन में जानें…
गीतांजली सक्सेना 2025
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यादों में रहेंगे बसे…एक शख़्सियत
कॉफीशॉप के गलियारों में अब अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है।
ऐसा लगता है मानो लोगों ने इस ओर आना छोड़ दिया हो।
कहाँ गुम हो गई वो चहल पहल, वो दरबान के दरवाज़ा खोलते ही उठने वाली
कॉफी की दिलकश सुगंध
एक रूहानी नशा, दोस्तों संग बैठकों की वजह
गपशप करने के वो सामाजिक अड्डे
जहाँ देश के लिए या समाज की परिवर्तनकारी नीतियों की रूपरेखा तैयार हुआ करती थी
वहीं राजनीति की बहस संग ठहाकों की गूंज
और सिगार (Cigar) के धुएं में लिपटे विचार उड़ा करते थे
जिन्हें हम ढूंढ रहे हैं अब बस यादों में समाए हैं
Coffee Mornings
पापा की जीवनशैली का अहम हिस्सा थी।
उनके साथ बिताए इन लम्हों का अनुभव का अहसास हमारे हिस्से में भी आया।
मुझे भी अनेक बार खुशनुमा जाड़ों की दोपहर में
उनके इस शौक या कहें आदत, साथ कॉफी पीना
उन पलों का आनंद अनमोल था
पापा से ही हमने कॉफी के महत्व और फायदे की शिक्षा ग्रहण की
अनूप तो उनकी इस दिनचर्या का अभिन्न सदस्य बना रहा
आज भी वह इस परंपरा को बड़ी शिद्दत से निभा रहा है
परिवार में आज भी पापा की अनुपस्थिति की कमी हर कोई महसूस करता है
उनकी शख्सियत की सबसे बड़ी खूबी थी उनकी सहजता व सरलता
हर विषय पर लिखने और उसे सटीकता से व्यक्त करने में महारत हासिल थी
आज शब्दावली भी लाचार सी लगती है
पापा की अनुपस्थिति में मानों शब्दों की वर्णमाला भी
अपनी क्षमताओं की शक्ति से वंचित है
ऐसा लगता है कि शब्दों ने अपनी इठलाने की आदत छोड़ दी है
प्रकृति भी मानो जीवन-मरण नियति के समक्ष स्वयं को असहाय महसूस कर रही हो
न जाने क्यों
पापा के ९७वें जन्मदिन पर उन्हें ‘बाबू जी’ कह कर याद करने का मन कर रहा है
शायद इसलिए कि वह अपने पिताजी को इसी संबोधन से पुकारते थे
हमारे बाबा के बारे में अनगिनत अनसुनी कहानियाँ और अनुभव
पापा अक्सर हम सब (छोटे-बड़ों) के साथ साझा किया करते थे
उनके 97th जन्मदिन पर पापा को स्मरण करते हुए
उनकी लिखी कुछ प्रेरणादायक पंक्तियों का ज़िक्र करना
निःसंदेह मुझे एक आत्मिक सुख का अहसास कराता है
आज भी उनकी लिखी बातें नई उमंगों से भरी
ऊर्जा का संचार करने में मददगार साबित होती हैं
‘कुछ नया कर गुजरने’ के उत्साह को बरकरार रखते हुए
नए अध्याय जोड़ने की ओर प्रेरित करती हैं
Doing very well
‘Why so much labor once it is confirmed that you are a good writer or journalist
Do it when you find something good or bad in any society or country
Well done!’ PaPa
Wrote on 7th April 2021
यह वर्ष पुनः जन्मदिन पर उनके साथ संवाद करने का अवसर मिला है
उनकी प्रेरणादायक विचारधारा
उनके हर एक शब्द, सुझाव और दृष्टिकोण में एक गहरा संदेश होता था
उनकी बातें आशाओं से भरी होती थीं
हर मौके व अनावश्यक परिस्थितियों में भी वे उत्साहवर्धक प्रतीत होती थीं
अगर हमने मुश्किलों का सामना करना उनसे सीखा है
तो जीवन को जीने का अंदाज भी उन्हीं से विरासत में पाया
‘शब्दों की ताकत’ से लड़ना सीखा
गिर कर संभलना
चुनौतियों का सामना करने में ही छिपी है हमारी काबिलियत की कुंजी
यही तो थी उनकी विचारधारा
लंबे समय से अप्रवासी होने के कारण
मैं उनके दिल के ज्यादा करीब रही
परिवार का हर सदस्य इससे भलीभांति परिचित है
शब्दों का प्रयोग चाहे सरल हो
लेकिन जब वे बड़ों से आशीर्वाद के रूप में प्राप्त हों
तो अत्यंत महत्वपूर्ण व खास हुआ करते हैं
उनके साथ बिताए अनगिनत पल और सुनाई गई कहानियाँ
आज भी हमारे बीच प्रचलित हैं
ख़्यालों में ही सही, यादों में रहेंगे बसे
और उनकी प्रेरणा हमारा जीवन हमेशा रोशन करती रहेगी
गीतांजलि सक्सेना
12th July 2025